झारखण्ड का सम्पूर्ण भूगोल और भौगोलिक संरचना



झारखण्ड की स्थिति :-

        झारखण्ड भारत का 27 वां राज्य हैं ( जम्मू कश्मीर केंद्र शासित बनने से पहले 28 वाँ राज्य था ) झारखण्ड भारत के उत्तर - पूर्वी क्षेत्र में स्थित हैं। यह भारत का एक भू आवेष्ठित (land locked state) हैं जो 5 राज्यों से घिरा हुआ हैं उत्तर में बिहार राज्य, दक्षिण में ओडिशा राज्य, पूर्व में पश्चिम बंगाल राज्य और पश्चिम में छत्तीसगढ़ तथा उत्तर प्रदेश स्थित हैं। 

                                झारखण्ड राज्य का निर्माण 15 नवंबर 2000 को बिहार के 18 जिलों को अलग करके किया गया। वर्तमान में झारखण्ड में कुल 24 जिले हैं। झारखण्ड राज्य की राजधानी राँची हैं जबकि इसकी औद्योगिक राजधानी जमशेदपुर, सांस्कृतिक राजधानी देवघर तथा उप - राजधानी दुमका हैं। 

पठार :-


        गोंडवाना भूमि का भाग होने के कारण झारखण्ड एक पठारी बाहुल इलाका हैं। झारखण्ड के पठार को दो भागो में बांटा गया हैं पहला हजारीबाग पठार और दूसरा रांची पठार। इसी कारण झारखण्ड को छोटानागपुर का पठार भी कहा जाता हैं। 

                                    रांची पठार में ऊँचे नुकीले पर्वतों की संख्या कम हैं क्योंकि रांची पठार में गुम्मद नुमा पर्वत अधिक पाए जाते हैं। इसी कारण रांची पठार को झारखण्ड का समप्राय मैदान भी कहा जाता हैं। समप्राय मैदान ऐसे क्षेत्र को कहते हैं जहाँ के पर्वत की ऊपरी शिखर कम नुकीली या गुम्मद नुमा होती हैं।  


                हजारीबाग पठार को दो भागो में बांटा गया हैं। पहला निचला हजारीबाग पठार और दूसरा ऊपरी हजारीबाग पठार। निचले हजारीबाग पठार की ऊंचाई ऊपरी हजारीबाग पठार की तुलना में कम हैं और यह झारखण्ड के उत्तर दिशा में स्थित हैं जबकि ऊपरी हजारीबाग पठार की ऊंचाई सबसे अधिक हैं। सबसे ऊँचा पठार होने के कारण झारखण्ड की सबसे ऊँची पर्वत श्रेणी पारसनाथ पर्वत इसी पठार में स्थित हैं। 


खनिज  :-


         पठारी क्षेत्र होने के कारण झारखण्ड एक खनिज सम्पदा से संपन्न राज्य हैं जहाँ कोयला, सोना, लोहा से लेकर यूरेनियम जैसे बहुमूल्य खनिज मिलते हैं। खनिज की दृष्टि से झारखण्ड एक अनमोल राज्य हैं और झारखण्ड के सभी जिलों में कोई ना कोई खनिज का भंडार स्थित हैं। 

झारखण्ड में मिलने वाले प्रमुख खनिज :-

        झारखण्ड की तुलना जर्मनी की रूर घाटी से की जाती हैं इसी लिए झारखण्ड को भारत का रूर प्रदेश भी कहा जाता हैं। झारखण्ड में तीन प्रकार की खनिज पाए जाते हैं - पहला - धात्विक खनिज, दूसरा - अधात्विक खनिज और तीसरा - ऊर्जा खनिज। 

धात्विक खनिज -    धात्विक खनिज मुख्य रूप से पश्चिमी सिंघभूम, हज़ारीबाग, लोहरदगा, पूर्वी सिंघभूम और रांची जिले में पायी जाती हैं। इसमें प्रमुख खनिज लोहा, क्रोमाइट, मैगनीज, टिन, तांबा बॉक्साइट, सोना, चांदी आदि हैं। 

  • लोहा             - पश्चिमी सिंघभूम 
  • बॉक्साइट      - लोहरदगा 
  • क्रोमाइट       - पश्चिमी सिंघभूम
  • टिन              - हज़ारीबाग 
  • तांबा            - पूर्वी सिंघभूम 
  • सोना           - रांची 


अधात्विक खनिज -    अधात्विक खनिज मुख्य रूप से कोडरमा, हज़ारीबाग, पलामू, गढ़वा और रांची जिले में पायी जाती हैं। इसमें प्रमुख खनिज अभ्रक, ग्रेफाइट, चूना पत्थर, डोलोमाइट और एस्बेस्टर आदि हैं। 

  • अभ्रक         - कोडरमा, हज़ारीबाग 
  • ग्रेफाइट       - पलामू 
  • चूना पत्थर   - गढ़वा, पलामू 
  • डोलोमाइट  - पलामू 
  • एस्बेस्टर      - रांची 


ऊर्जा खनिज -    ऊर्जा खनिज मुख्य रूप से हज़ारीबाग, धनबाद, बोकारो, रामगढ, रांची और पूर्वी सिंघभूम जिले में पायी जाती हैं। इनमे प्रमुख खनिज कोयला, यूरेनियम, थोरियम, इल्मेनाइट आदि हैं। 

कोयला -   दामोदर घाटी क्षेत्र    - झरिया ,चंद्रपुरा ,कर्णपुरा ,बोकारो। 
                बराकर बेसिन         - हज़ारीबाग ,गिरिडीह 
                अजय बेसिन           - जयंती ,करैया 
                राजमहल बेसिन      - पंचवारा , छप्परविट्टा ,गिलवाड़ी 

यूरेनियम      - पूर्वी सिंघभूम ( जादूगोड़ा )
थोरियम       - रांची ,धनबाद 
इल्मेनाइट    - रांची 

( कुछ खनिजों के उत्पादन में झारखण्ड काफी आगे हैं जैसे - यूरेनियम ,पायराइट ,कोकिंग कोल ,अभ्रक और ग्रेफाइट के उत्पादन में झारखण्ड देश में सबसे आगे हैं। )


पर्वत :-

        ऊपर हम पढ़ चुके हैं कि झारखण्ड एक पठारी क्षेत्र हैं इसी कारण यहाँ छोटे - बड़े सभी प्रकार के पर्वत पाए जाते हैं जिनकी ऊंचाई कुछ मीटर से लेकर 1365 मीटर तक हैं। 

प्रमुख पर्वत -

  • पारसनाथ पर्वत -    यह झारखण्ड की सबसे ऊँची पर्वत श्रेणी हैं जो गिरडीह जिले में स्थित हैं इसकी ऊंचाई 1365 मीटर हैं। इस पर्वत की काफी धार्मिक मान्यताएं हैं इस पर्वत का नाम जैन धर्म के 23 वें तीर्थकर पारसनाथ के नाम पर रखा गया हैं। 

  • त्रिकूट पर्वत -    यह पर्वत झारखण्ड के देवघर जिले में स्थित हैं इसकी ऊंचाई लगभग 392 मीटर हैं। यह पर्वत एक अच्छा धार्मिक स्थल के साथ - साथ एक बेहतर पर्यटन स्थल भी हैं। इसी पर्वत से ही मयूराक्षी नदी का उदगम भी होता हैं। 

  • रांची हिल -    यह पर्वत झारखण्ड की राजधानी रांची में स्थित हैं  इसकी ऊंचाई लगभग 350 फ़ीट हैं। यह पर्वत एक अच्छा धार्मिक स्थल के साथ - साथ एक बेहतर पर्यटन स्थल भी हैं। इस पर्वत पर प्रसिद्ध शिव मंदिर हैं और इस मंदिर को पहाड़ी मंदिर के नाम से भी जाना जाता हैं। 

  • टैगोर हिल -    यह पर्वत भी झारखण्ड की राजधानी रांची में स्थित हैं  इसकी ऊंचाई लगभग 300 फ़ीट हैं। यह पर्वत एक अच्छा धार्मिक स्थल के साथ - साथ एक बेहतर पर्यटन स्थल भी हैं।

  • राजमहल हिल -    यह पर्वत झारखण्ड के साहेबगंज जिले में स्थित हैं यह पर्वत एक बेहतर पर्यटन स्थल हैं। इसी पर्वत से ही गुमानी नदी का उदगम भी होता हैं। 


नदियाँ :-

            झारखण्ड में कई नदियाँ हैं परन्तु ज्यादातर नदियाँ बरसाती नदियाँ  हैं  (अपवाद - सोन नदी ) जिसमे केवल बरसात के दिनों में ही पानी का प्रवाह होता है इनमे से अधिकतर नदियाँ गर्मियों के दिनों में सुख जाती है अथवा इनके पानी का स्तर बहुत कम हो जाता है। 

झारखण्ड की कुछ प्रमुख नदियाँ -

सोन नदी  :-     सोन नदी का उदगम मध्यप्रदेश के अमरकंटक से होता हैं इसकी लम्बाई लगभग 780 किमी है सोन नदी झारखण्ड के पलामू जिले से होते हुए बिहार में गंगा नदी में मिल जाती है। सोन नदी को सोनभद्र और हिरण्यवाह नदी के नाम से भी जाना जाता है। झारखण्ड में सोन नदी की सहायक नदी उत्तरी कोयल नदी है जो उत्तर दिशा में सोन नदी से जाकर मिलती हैं । सोन नदी में सोने के कण मिलने के कारण इसका नाम सोन नदी पढ़ा। सोन नदी झारखण्ड की एक मात्र नदी है जो बरसाती नदियों की गिनती में नहीं आती है। इस नदी में वर्ष भर पानी का बहाव एक जैसा बना रहता है।

दामोदर नदी  :-     दामोदर नदी का उदगम लातेहार जिले से हुआ है। दामोदर नदी झारखण्ड की सबसे लम्बी नदी हैं।  जिसकी लम्बाई लगभग 524 किमी और झारखण्ड राज्य में इसकी लम्बाई लगभग 290 किमी तक है। सबसे बड़ी नदी होने के साथ - साथ यह झारखण्ड की सबसे प्रदूषित नदी भी है। दामोदर नदी को पश्चिम बंगाल में शोक नदी के नाम से जाना जाता है क्योंकि इस नदी के कारण बंगाल में भयंकर बढ़ आती थी जिसके कारण जान और माल की काफी मात्रा में हानि होती थी परन्तु वर्तमान में इस नदी पर दामोदर घाटी परियोजना के द्वारा बहुद्देशीय बांध परियोजना की व्यवस्था की गयी है। दामोदर घाटी परियोजना के कारण अब दामोदर नदी से पश्चिम बंगाल में बाढ़ नहीं आती है।

स्वर्ण रेखा नदी  :-     स्वर्ण रेखा नदी का उदगम रांची जिले से हुआ है। यह रांची से लगभग 16 किमी दूर नगड़ी गांव से निकलती है। इसकी कुल लम्बाई लगभग 474 किमी है। इसकी सुनहरी रेत में सोने के कण मिलने के कारण इसका नाम स्वर्ण रेखा पड़ा। यह नदी भी बरसाती नदी है इस कारण यहाँ बरसात के दिनों में ज्यादा पानी होता है। यह झारखण्ड राज्य की एक मात्र नदी हैं जो स्वतत्र रूप से बंगाल की खाड़ी में गिरती है। स्वर्ण रेखा नदी पर राज्य का सबसे ऊँचा जलप्रपात हुंडरू जलप्रपात स्थित है जिसकी ऊंचाई लगभग 74 मीटर है। स्वर्ण रेखा नदी की सहायक नदियाँ कोकरो ,कांची ,खरकई और राहु नदी हैं। स्वर्ण रेखा नदी पर कई परियोजनाओं की स्थापना की गयी है।

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झरने ( जलप्रपात ):-

जोन्हा जलप्रपात -     यह जलप्रपात रांची जिले में स्थित है। जोन्हा गांव के पास होने के कारण इसका नाम जोन्हा जलप्रपात पड़ा। इसकी ऊंचाई लगभग 17 मीटर है। यह एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं।  

हुंडरू जलप्रपात -     यह जलप्रपात रांची जिले में स्थित है। यह जलप्रपात स्वर्ण रेखा नदी पर स्थित है इसकी ऊंचाई लगभग 74 मीटर है  यह झारखण्ड की सबसे ऊंची जलप्रपात है और यह भारत का 10 वां सबसे ऊँचा जलप्रपात है। यहाँ वर्ष भर पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है।

रजरप्पा जलप्रपात -     यह जलप्रपात रामगढ जिले में स्थित है जो दामोदर और भेड़ा (भैरवी ) नदी के संगम तट पर स्थित है। इसकी उचाई लगभग 4 मीटर है। यह एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं।

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वन :-

        झारखण्ड के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल को लगभग 29 प्रतिशत भाग वनों से घिरा हुआ हैं। अगर क्षेत्रफल की दृष्टि से देखा जाये तो झारखण्ड की 22977 वर्ग किलो मीटर भूमि में वनों का विस्तार हैं। झारखण्ड में सबसे ज्यादा वन क्षेत्रफल की दृष्टि से देखा जाये तो पश्चिमी सिंघभूम जिले में हैं और सबसे कम वन धनबाद जिले में हैं। 

वनों की श्रेणी -

आरक्षित वन -     झारखण्ड में 81 प्रतिशत वन आरक्षित वनों की श्रेणी में आते हैं जहां कुछ हद तक इंसानी गतिविधियो जैसे पशु चराने ,चारे की कटाई ,पेड़ो की कटाई आदि की अनुमति होती हैं। 

संरक्षित वन -     झारखण्ड में 18 प्रतिशत वन संरक्षित वनों की श्रेणी में आते हैं जहां इंसानी गतिविधियाँ प्रतिबंधित होती हैं यहाँ पशु चराने ,चारे की कटाई ,पेड़ो की कटाई आदि पर प्रतिबन्ध होता हैं।

अवर्गीकृत वन -     झारखण्ड में 1 प्रतिशत वन अवर्गीकृत वनों की श्रेणी में आते हैं जहां इंसानी गतिविधियों पर किसी प्रकार का कोई प्रतिबन्ध नहीं रहता हैं। 


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