झारखण्ड राज्य की कृषि :-
हम जानते है कि भारत देश में झारखण्ड राज्य को खनिज बाहुल्य भूमि के रूप में देखा जाता है क्योकि यहाँ की ज्यादातर भूमि पठारी है जो कि कृषि कार्यो के लिए कम उपयोगी मानी जाती है यहाँ की भूमि में कोयला ,बॉक्साइट ,यूरेनियम ,अभ्रक आदि का भण्डारण स्थित है कृषि की दृस्टि से झारखण्ड का मात्र 32% जमीन ही खेती के लायक माना है अतः राज्य अपनी कृषि जरूरतों को इसी से पूरा करता है आमतौर पर झारखण्ड में सभी प्रकार की फसले उगाई जाती है परन्तु झारखण्ड की ज्यादातर कृषि वर्षा पर आधारित होने के कारण है वर्षा पर आधारित कृषि की जाती है परन्तु अब सिंचाई संसाधनों की उपलब्धता होने के कारण यहाँ कई फसलो का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जा रहा है।
झारखण्ड की फसले :-
खरीफ /बरसाती फसल
हम जानते है कि भारत देश में झारखण्ड राज्य को खनिज बाहुल्य भूमि के रूप में देखा जाता है क्योकि यहाँ की ज्यादातर भूमि पठारी है जो कि कृषि कार्यो के लिए कम उपयोगी मानी जाती है यहाँ की भूमि में कोयला ,बॉक्साइट ,यूरेनियम ,अभ्रक आदि का भण्डारण स्थित है कृषि की दृस्टि से झारखण्ड का मात्र 32% जमीन ही खेती के लायक माना है अतः राज्य अपनी कृषि जरूरतों को इसी से पूरा करता है आमतौर पर झारखण्ड में सभी प्रकार की फसले उगाई जाती है परन्तु झारखण्ड की ज्यादातर कृषि वर्षा पर आधारित होने के कारण है वर्षा पर आधारित कृषि की जाती है परन्तु अब सिंचाई संसाधनों की उपलब्धता होने के कारण यहाँ कई फसलो का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जा रहा है।
खरीफ /बरसाती फसल
- झारखण्ड की फसलों में सबसे बड़ा योगदान खरीफ फसलों का है जो कि कुल कृषि भूमि के 90 % में बोयी जाती है।
- खरीफ फसलों के अंतर्गत धान ,मक्का ,ज्वार ,बाजरा ,मूंग ,मूंगफली ,गन्ना आदि फसलो की खेती किया जाता है।
- खरीफ फसलों को जून- जुलाई में बोया जाता है तथा सितम्बर- अक्टूबर में काटा जाता है।
- खरीफ फसलों को दो भागो में बांटा गया है - भदई और अगहनी।
- खरीफ फसलों में भी सबसे अधिक अगहनी फसलों को बोया जाता है जिसे जून में बोया जाता है और नवंबर में काटा जाता है।
- वर्षा जल के कमी के कारण भदई फसलों को अगहनी की तुलना में कम मात्रा में किया जाता है भदई फसलों को मई में बोया जाता है और सितम्बर में इसे काटा जाता है।
रबी /वैशाखी फसल
- झारखण्ड में सिंचाई के आभाव के कारण रबी फसलों की कमी देखने को मिलती है।
- झारखण्ड में केवल 10 % जमीन पर ही रबी फसल को बोया जाता है।
- इन फसलों में प्रमुख है गेहूँ ,जौ ,चना ,तिलहन आदि।
- वन सम्पदा का क्षेत्र होने के बावजूद राज्य में वर्षा जल का संचयन तथा कृषि युक्त उपयोगी मिट्टी की कमी होने के कारण यहाँ रबी फसल की पैदावार अनुमान से काफी कम होती है।
- राज्य के कुछ क्षेत्रों में छोटे तथा बड़े बांधो के निर्माण होने से उन स्थानों में सिंचाई की उपयुक्त व्यवस्था होने के कारण रबी की फसल उगाई जाती है।
जायद /गरमा फसल
- यह फसले काफी कम समय में तैयार होने वाली फसले है।
- परन्तु सिंचाई संसाधनों के आभाव के कारण इसका उत्पादन भी उम्मीद से कम होता है।
- राज्य में इसकी कृषि केवल 0.73 % जमीन पर ही होती है।
- इन फसलों में प्रमुख है हरी सब्जियाँ आदि।
झारखण्ड के प्रमुख फसले व जिले
No. |
फसल |
जिला |
1 |
धान |
सिंघभूम, रांची, गुमला |
2 |
मक्का |
पलामू |
3 |
गन्ना |
हजारीबाग, पलामू |
4 |
जौ |
पलामू, साहेबगंज |
5 |
चना |
पलामू |
झारखण्ड की सिंचाई संसाधन :-
झारखण्ड में सिंचाई संसाधनों की कमी के कारण झारखण्ड में केवल 23 % भाग ही सिंचित है यहाँ सिंचाई संसाधनों में सर्वाधिक प्रयोग कुँए का होता है और कुँए से सिंचाई में गुमला जिला प्रथम स्थान पर है दूसरा प्रयोग किया जाने वाला संसाधन नलकूप है और नलकूप द्वारा सिचाई में लोहरदगा प्रथम स्थान पर है इसी प्रकार यहाँ तालाबों और नहरों द्वारा भी सिचाई की जाती है। जिसमे देवघर और सिंघभूम का प्रमुख स्थान है।
सिंचाई परियोजनाएँ
1. वृहद् सिंचाई परियोजना - 10000 हेक्टेयर से अधिक में सिंचाई
स्वर्ण रेखा परियोजना :-
- स्वर्ण रेखा परियोजना झारखण्ड की एक वृहद् सिंचाई परियोजनाओं में से एक है।
- यह परियोजना मुख्य रूप से रांची और पश्चिमी सिंघभूम जिले में कृषि भूमि की सिंचाई सम्बंधित जरूरतों को पूरा करती है।
- इस सिंचाई परियोजना से लगभग 10000 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर सिंचाई कार्य को पूरा किया जाता है।
कोनार बराज परियोजना :-
- कोनार बराज परियोजना झारखण्ड की एक वृहद् सिंचाई परियोजनाओं में से एक है।
- यह परियोजना मुख्य रूप से बोकारो जिले में कृषि भूमि की सिंचाई सम्बंधित जरूरतों को पूरा करती है।
- इस सिंचाई परियोजना से लगभग 10000 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर सिंचाई कार्य को पूरा किया जाता है।
उत्तरी कोयल परियोजना :-
- उत्तरी कोयल परियोजना झारखण्ड की एक वृहद् सिंचाई परियोजनाओं में से एक है।
- यह परियोजना मुख्य रूप से पलामू जिले में कृषि भूमि की सिंचाई सम्बंधित जरूरतों को पूरा करती है।
- इस सिंचाई परियोजना से लगभग 10000 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर सिंचाई कार्य को पूरा किया जाता है।
गुमानी जलाशय परियोजना :-
- गुमानी जलाशय परियोजना झारखण्ड की एक वृहद् सिंचाई परियोजनाओं में से एक है।
- यह परियोजना मुख्य रूप से दुमका जिले में कृषि भूमि की सिंचाई सम्बंधित जरूरतों को पूरा करती है।
- इस सिंचाई परियोजना से लगभग 10000 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर सिंचाई कार्य को पूरा किया जाता है।
पुनासी जलाशय परियोजना :-
- पुनासी जलाशय परियोजना झारखण्ड की एक वृहद् सिंचाई परियोजनाओं में से एक है।
- यह परियोजना मुख्य रूप से दुमका जिले में कृषि भूमि की सिंचाई सम्बंधित जरूरतों को पूरा करती है।
- इस सिंचाई परियोजना से लगभग 10000 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर सिंचाई कार्य को पूरा किया जाता है।
2. मध्यम सिंचाई परियोजना - 2000 हेक्टेयर से अधिक और 10000 से कम में सिंचाई
तोरई बराज परियोजना :-
- तोरई बराज परियोजना झारखण्ड की एक मध्यम सिंचाई परियोजनाओं में से एक है।
- यह परियोजना मुख्य रूप से दुमका जिले में कृषि भूमि की सिंचाई सम्बंधित जरूरतों को पूरा करती है।
- इस सिंचाई परियोजना से लगभग 2000 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर सिंचाई कार्य को पूरा किया जाता है।
कसजोर जलाशय परियोजना :-
- कसजोर जलाशय परियोजना झारखण्ड की एक मध्यम सिंचाई परियोजनाओं में से एक है।
- यह परियोजना मुख्य रूप से गुमला जिले में कृषि भूमि की सिंचाई सम्बंधित जरूरतों को पूरा करती है।
- इस सिंचाई परियोजना से लगभग 2000 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर सिंचाई कार्य को पूरा किया जाता है।
3. लघु सिंचाई परियोजना - 2000 हेक्टेयर से कम में सिंचाई
- लघु सिंचाई परियोजना के अंतर्गत 2000 हेक्टेयर से कम की कृषि भूमि में सिंचाई कार्य किया जाता है।
- इस परियोजना से मुख्य रूप से छोटी नदियाँ शामिल होती है।
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