झारखण्ड की नदियाँ || झारखण्ड की प्रमुख नदियाँ || jharkhand ki nadiya || jh ki nadia || झारखण्ड की नदी



झारखण्ड की प्रमुख नदियाँ   :-

        झारखण्ड की नदियाँ बरसाती नदियाँ  है  (अपवाद - सोन नदी ) जिसमे केवल बरसात के दिनों में ही पानी का प्रवाह होता है इनमे से अधिकतर नदियाँ गर्मियों में सुख जाती है अथवा इनके पानी का स्तर काफी कम हो जाता है। झारखण्ड में पठारी भूमि होने के कारण यहाँ की नदियों में नाव चलाना आसान नहीं होता झारखण्ड की एक मात्र नौगम्य नदी मयूराक्षी नदी है। 

मुख्य बिंदु :-

  1. झारखण्ड की सबसे गंदी नदी कौन सी हैं ?
  2. झारखण्ड के किस नदी में सोना पाया जाता हैं ?
  3. गंगा नदी झारखण्ड के किस जिले में बहती हैं ?
  4. कौन सी नदी में झारखण्ड का सबसे ऊँचा जलप्रपात स्थित हैं ?
  5. झारखण्ड की कौन सी नदी अपना मार्ग बदलने के लिए प्रसिद्ध हैं ?

इन सभी सवालों के जवाब आप आगे पढ़ सकते हैं और अपने झारखण्ड की नदियाँ सम्बंधित अपने ज्ञान को और बेहतर बना सकते हैं। 

उत्तरवर्ती नदियाँ  :-

वे नदियाँ जो राज्य के उत्तर की ओर बहती है और मुख्य रूप से गंगा नदी में जाकर मिल जाती है।


     विषय सूची 

  • 1. सोन नदी
  • 2. उत्तरी कोयल नदी
  • 3. पुनपुन नदी
  • 4. फलगु नदी
  • 5. सकरी नदी
  • 6. चानन नदी  


1. सोन नदी  :-

  • सोन नदी का उदगम मैकल पर्वत अमरकंटक मध्यप्रदेश से हुआ है जिसकी कुल लम्बाई  लगभग 780 किमी है।
  • सोन नदी झारखण्ड के गढ़वा और पलामू जिले से होते हुए बिहार में जाकर गंगा नदी में मिल जाती है। 
  • सोन नदी को सोनभद्र और हिरण्यवाह नदी के नाम से भी जाना जाता है। 
  • झारखण्ड में सोन नदी की सहायक नदी उत्तरी कोयल नदी है जो उत्तर दिशा में सोन नदी से जाकर मिलती हैं ।
  • सोन नदी में सोने के अंश मिलने के कारण इसका नाम सोन नदी पढ़ा। 
  • सोन नदी का महत्व झारखण्ड में केवल सीमा के रूप में है। 
  • सोन नदी झारखण्ड की एक मात्र नदी है जो बरसाती नदियों की श्रेणी में नहीं आती है। इस नदी में वर्ष भर पानी का बहाव बना रहता है।
 
"सोन नदी"


2. उत्तरी कोयल नदी  :-

  • उत्तरी कोयल नदी का उदगम रांची पठार, जिला लातेहार से हुआ है। 
  • यह नदी लातेहार ,गढ़वा ,पलामू से होते हुए अंत में सोन नदी से जाकर मिल जाती है। 
  • इस नदी पर झारखण्ड की कई महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजना स्थापित की गयी है। 
  • यह नदी बरसाती नदी है इस कारण यहाँ बरसात के दिनों में काफी पानी होता है। 
  • उत्तरी कोयल नदी की दो सहायक नदियाँ है औरंगा व अमानत नदी। 
  • पठारी क्षेत्र में स्थित होने के कारण इस नदी में नाव चलाना सरल नहीं है। बरसाती नदी होने के कारण इस नदी में बरसात के मौसम में पानी का प्रवाह तीव्र गति से होता है लेकिन गर्मी आते -आते ये नदियाँ सूख जाते है या इनमे पानी की मात्रा कम हो जाती है।


"नदियों का प्रवाह क्षेत्र"

3. पुनपुन नदी :- 

  • पुनपुन नदी का उदगम उत्तरी कोयल प्रवाह के उत्तर से हुआ है। 
  • यह नदी सोन नदी के सामानांतर बहने वाली नदी है। 
  • पुनपुन नदी को कीकट व बमागधी नाम से भी जाना जाता है। 
  • इस नदी की दो सहायक नदियाँ दर्धा और मोरहर नदी है। 
  • अंत में यह नदी गंगा नदी में जाकर मिल जाती है। 
  • यह नदी भी बरसाती नदी है इस कारण यहाँ बरसात के दिनों में काफी पानी होता है। 
  • पठारी क्षेत्र में स्थित होने के कारण इस नदी में नाव चलाना सरल नहीं है। बरसाती नदी होने के कारण इस नदी में बरसात के मौसम में पानी का प्रवाह तीव्र गति से होता है लेकिन गर्मी आते -आते ये नदियाँ सूख जाते है या इनमे पानी की मात्रा कम हो जाती है।



4. फलगु नदी  :-

  • फलगु नदी का उदगम छोटानागपुर पठार को माना जाता है। 
  • झारखण्ड में इस नदी का धार्मिक महत्व माना जाता है और इस नदी में पिंडदान सम्बन्धी कार्य किये जाते है। 
  • फलगु नदी को अन्तः सलिला और निरंजना नाम से भी जाना जाता है। 
  • अंत में यह नदी गंगा नदी में जाकर मिल जाती है। 
  • यह नदी भी बरसाती नदी है इस कारण यहाँ बरसात के दिनों में काफी पानी होता है। 
  • पठारी क्षेत्र में स्थित होने के कारण इस नदी में नाव चलाना सरल नहीं है। बरसाती नदी होने के कारण इस नदी में बरसात के मौसम में पानी का प्रवाह तीव्र गति से होता है लेकिन गर्मी आते -आते ये नदियाँ सूख जाते है या इनमे पानी की मात्रा कम हो जाती है।



5. सकरी नदी  :-

  • सकरी नदी का उदगम छोटानागपुर पठार को माना जाता है। 
  • इस नदी की विशेषता है की यह नदी मार्ग बदलने के लिए कुख्यात है। 
  • सकरी नदी को सुमागधी के नाम से भी जाना जाता है। 
  • सकरी नदी की तीन प्रमुख सहायक नदियाँ किउल ,मोरहर व चानन नदी है। 
  • अंत में यह नदी गंगा नदी में जाकर मिल जाती है। 
  • यह नदी भी बरसाती नदी है इस कारण यहाँ बरसात के दिनों में काफी पानी होता है। 
  • पठारी क्षेत्र में स्थित होने के कारण इस नदी में नाव चलाना सरल नहीं है। बरसाती नदी होने के कारण इस नदी में बरसात के मौसम में पानी का प्रवाह तीव्र गति से होता है लेकिन गर्मी आते -आते ये नदियाँ सूख जाते है या इनमे पानी की मात्रा कम हो जाती है।


दक्षिणवर्ती नदियाँ  :-

वे नदियाँ जो राज्य के दक्षिण की ओर बहती है दक्षिणवर्ती नदियों की श्रेणी में आती है।


      विषय सूची 

  • 1. दामोदर नदी
  • 2. बराकर नदी
  • 3. स्वर्ण रेखा नदी
  • 4. मयूराक्षी नदी
  • 5. दक्षिणी कोयल नदी
  • 6. शंख नदी
  • 7. अजय नदी
  • 8.  ब्राम्हणी नदी
  • 9. गुमानी नदी
  • 10. बांसलोई नदी


1. दामोदर नदी  :-

  • दामोदर नदी का उदगम छोटानागपुर पठार ,जिला लातेहार से हुआ है। 
  • दामोदर नदी झारखण्ड की सबसे बड़ी व लम्बी नदी है जिसकी कुल लम्बाई 524 किमी और झारखण्ड राज्य में इसकी लम्बाई 290 किमी है। 
  • सबसे बड़ी नदी होने के साथ -साथ यह झारखण्ड की सबसे प्रदूषित नदी भी है। 
  • दामोदर नदी को झारखण्ड में देव नदी तथा बंगाल में बंगाल का शोक नदी के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस नदी के कारण बंगाल में भयंकर बढ़ आती थी जिसके कारण जान और माल की काफी मात्रा में हानि होती थी परन्तु अब झारखण्ड राज्य में इस नदी पर दामोदर घाटी परियोजना के द्वारा बहुद्देशीय जल भण्डारण की व्यवस्था की गयी है। 
  • यह परियोजना अमेरिका में सफल रही टेनेसी घाटी परियोजना से प्रेरित होकर बनाया गया है। दामोदर घाटी परियोजना के कारण अब दामोदर नदी से बंगाल में बाढ़ नहीं आती है।
  • दामोदर नदी झारखण्ड के सात जिलों से होकर गुजरती है वे जिले लातेहार ,लोहरदगा ,रांची ,हज़ारीबाग  ,गिरिडीह ,धनबाद और बोकारो है। 
  • दामोदर नदी अंत में बंगाल के हुगली नदी में जाकर मिल जाती है। 
  • दामोदर नदी की पांच सहायक नदियाँ बराकर ,कतरी ,जमुनिया ,कोनार और बोकारो नदी है। 
  • दामोदर नदी धनबाद के जिस स्थल में प्रवेश करती है वही पर इससे जमुनिया नदी आकर मिलती है। 
  • जमुनिया नदी तट की पश्चिमी सीमा गिरिडीह जिले के साथ सीमा का निर्माण करती है। इससे पूर्व में दामोदर से कतरी नदी मिलती है जो पारसनाथ पहाड़ी से निकलती है तथा चिरकुंडा के पास दामोदर नदी से बराकर नदी आकर मिलती है। 
  • दामोदर नदी पर कई परियोजनाओं की स्थापना की गयी है।

"दामोदर नदी"


बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना  :-

दामोदर घाटी परियोजना -

        दामोदर घाटी परियोजना भारत की पहली बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना है जो अमेरिका में सफल रही टेनेसी घाटी परियोजना से प्रेरित होकर बनाया गया है। दामोदर घाटी परियोजना झारखण्ड और पश्चिम बंगाल दोनों राज्यों की संयुक्त परियोजना है।

        दामोदर घाटी परियोजना की शुरुआत वर्ष 1948 में हुआ और इसी वर्ष 1948 में दामोदर घाटी निगम की स्थापना की गयी जिसका मुख्यालय कोलकाता में स्थित है।

        दामोदर घाटी परियोजना झारखण्ड और पश्चिम बंगाल के लिए बहुत लाभकारी परियोजना है। इस परियोजना से राज्य में सिंचाई ,विद्युत उत्पादन और जल भंडारण आदि की आवश्कता को पूरा करने की क्षमता में वृद्धि हुई है। चुकि दामोदर नदी को पहले बंगाल में भारी तबाही और बढ़ जैसे स्थिति के लिए जाना जाता था इस कारण इसका नाम बंगाल में शोक नदी (बंगाल का शोक ) कहा जाता है वही दामोदर घाटी परियोजना बनने के बाद इस प्रकार के बढ़ और तबाही से पश्चिम बंगाल को छुटकारा मिल गया। अब दामोदर नदी द्वारा पश्चिम बंगाल राज्य में बढ़ नहीं आता है।


दामोदर घाटी परियोजना के अंतर्गत आठ बांधो का निर्माण किया गया है जो निम्न लिखित है -

  • 1. तिलैया बांध
  • 2. बाल पहाड़ बांध
  • 3. मैथल बांध
  • 4. कोनार बराज बांध
  • 5. पंचेत बांध
  • 6. अय्यर बांध
  • 7. बेरमो बांध
  • 8. दुर्गा बैराज बांध


                इन सभी बांधो में से पहला जल विघुत केंद्र तिलैया बांध में वर्ष 1953 को स्थापित किया गया था। पुरे दामोदर घाटी परियोजना में मैथल बांध गैस टरबाइन पर आधारित बांध है जिसकी स्थापना वर्ष 1957 में किया गया था। इन सभी बांधो में दुर्गा वैराज इकलौता ऐसा बांध है जो केवल जल अवरोधक का काम करता है।



2. बराकर नदी  :-

  • बराकर नदी का उदगम छोटानागपुर पठार ,जिला हज़ारीबाग  से हुआ है। 
  • यह दामोदर नदी की सबसे मुख्य सहायक नदी है और दामोदर नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है। 
  • बराकर नदी का उल्लेख बौद्ध और जैन ग्रंथो में भी है। 
  • बराकर नदी के तट पर जैन मंदिर और कलयारेश्वरी देवी मंदिर स्थित है। 
  • बराकर नदी हज़ारीबाग ,कोडरमा ,गिरिडीह और धनबाद जिले से होते हुए दामोदर नदी में जाकर मिल जाती है। 
  • यह नदी भी बरसाती नदी है इस कारण यहाँ बरसात के दिनों में काफी पानी होता है। 
  • पठारी क्षेत्र में स्थित होने के कारण इस नदी में नाव चलाना सरल नहीं है। बरसाती नदी होने के कारण इस नदी में बरसात के मौसम में पानी का प्रवाह तीव्र गति से होता है लेकिन गर्मी आते -आते ये नदियाँ सूख जाते है या इनमे पानी की मात्रा कम हो जाती है।


3. स्वर्ण रेखा नदी  :- 

  • स्वर्ण रेखा नदी का उदगम छोटानागपुर पठार ,जिला रांची से हुआ है। 
  • यह रांची से 16 किमी दूर नगड़ी गांव से निकलती है। 
  • इसकी कुल लम्बाई लगभग 474 किमी है। 
  • इसकी सुनहरी रेत में सोने के अंश मिलने के कारण इसका नाम स्वर्ण रेखा नदी पड़ा। 
  • यह नदी भी बरसाती नदी है इस कारण यहाँ बरसात के दिनों में काफी पानी होता है। 
  • यह झारखण्ड की एक मात्र नदी है जो स्वतत्र रूप से बंगाल की खाड़ी में गिरती है। स्वर्ण रेखा नदी पर झारखण्ड का सबसे बड़ा जलप्रपात हुंडरू जलप्रपात स्थित है जिसकी ऊचाई लगभग 74 मीटर है। 
  • स्वर्ण रेखा नदी रांची ,खूंटी ,पूर्वी सिंघभूम से होते हुए ओड़िसा राज्य में प्रवेश करती है और सीधे बंगाल की खाड़ी में गिरती है। 
  • स्वर्ण रेखा नदी की चार प्रमुख सहायक नदियाँ कोकरो ,कांची ,खरकई और राहु नदी है। 
  • स्वर्ण रेखा नदी के तट पर ही जमशेदपुर नगर स्थित है। 
  • स्वर्ण रेखा नदी पर कई परियोजनाओं की स्थापना की गयी है।


बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना  :-

स्वर्ण रेखा नदी परियोजना -

  • स्वर्ण रेखा नदी परियोजना झारखण्ड ,ओडिसा और पश्चिम बंगाल राज्य की संयुक्त परियोजना है। 
  • स्वर्ण रेखा नदी परियोजना की स्थापना वर्ष 1983 में किया गया है। 
  • इस परियोजना से राज्य में सिंचाई ,विघुत उत्पादन और जल भंडारण आदि की आवश्कता को पूरा करने की क्षमता में वृद्धि हुई है। 
  • इस परियोजना से राज्य में सिचाई के साथ- साथ सर्वाधिक विघुत उत्पादन भी किया जाता है। 
  • यह जल विघुत परियोजना के आधार पर राज्य में सबसे ज्यादा विघुत उत्पादन करने वाली परियोजना है। 
  • इसके तहत झारखण्ड राज्य का लगभग 120 मेगा वाट बिजली का उत्पादन किया जाता है।


स्वर्ण रेखा नदी परियोजना के अंतर्गत प्रमुख बांध निम्न लिखित है -

  • 1. चांडिल बांध
  • 2. इचा बांध

चांडिल बांध सरायकेला जिले में स्थित हैं जो रांची - टाटा मार्ग पर स्थित हैं। वही इचा बांध पश्चिमी सिंघभूम जिले में स्थित हैं। 

 4. मयूराक्षी नदी  :-

  • मयूराक्षी नदी का उदगम त्रिकूट पहाड़ी ,जिला देवघर से हुआ है। 
  • यह झारखण्ड की एक मात्र नौगम्य नदी है जो समतल भूमि में बहती है। 
  • मयूराक्षी नदी देवघर ,दुमका ,गोड्डा और साहेबगंज से होते हुए ओड़िसा में गंगा नदी से मिल जाती है। 
  • मयूराक्षी नदी को मोर और मोतीहारी नदी के नाम से भी जाना जाता है। 
  • नवादा जिले में यह नदी भुरभुरी नदी के साथ मिलकर मोर नदी नाम से जानी जाती है। 
  • मयूराक्षी नदी की प्रमुख सहायक नदियाँ सिध ,दौना ,टिपरा ,पुसरो ,भामरी ,मूनबिल और घोवाई नदी है। 
  • यह नदी भी बरसाती नदी है इस कारण यहाँ बरसात के दिनों में काफी पानी होता है। 
  • यह झारखण्ड की एक मात्र नदी है जो नाव चलाने के लिए उपयुक्त है।

5. दक्षिणी कोयल नदी  :-

  • दक्षिणी कोयल नदी का उदगम छोटानागपुर पठार ,जिला लोहरदगा से हुआ है। 
  •  यह नदी भी बरसाती नदी है इस कारण यहाँ बरसात के दिनों में काफी पानी होता है। 
  • दक्षिणी कोयल नदी लोहरदगा ,गुमला ,रांची और पश्चिमी सिंघभूम से होते हुए ओडिशा में शंख नदी से जाकर मिल जाती है। 
  • दक्षिणी कोयल नदी की प्रमुख सहायक नदी कारो नदी है। 
  • दक्षिणी कोयल नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी कारो के संगम तट पर कोयल -कारो परियोजना चलाई गयी थी परन्तु भारी जन विरोध के कारण इस परियोजना को 2003 में बंद कर दिया गया।

6. शंख नदी  :-

  • शंख नदी का उदगम छोटानागपुर पठार चैनपुर ,जिला गुमला से हुआ है। 
  • यह नदी भी बरसाती नदी है इस कारण यहाँ बरसात के दिनों में काफी पानी होता है। 
  • यह झारखण्ड की एक मात्र नदी है जो गहरी खाई का निर्माण करती है। 
  • शंख नदी गुमला और सिमडेगा से बहते हुए ओड़िसा में प्रवेश करता है और आगे जाकर दक्षिणी कोयल नदी में मिल जाता है। प
  • ठारी क्षेत्र में स्थित होने के कारण इस नदी में नाव चलाना सरल नहीं है। 
  •  बरसाती नदी होने के कारण इस नदी में बरसात के मौसम में पानी का प्रवाह तीव्र गति से होता है लेकिन गर्मी आते -आते ये नदियाँ सूख जाते है या इनमे पानी की मात्रा कम हो जाती है।

"नदियों का प्रवाह क्षेत्र"

7. अजय नदी  :-

  • अजय नदी का उदगम मुंगेर ,जिला बिहार से हुआ है बिहार से प्रवाहित होते हुए यह नदी झारखण्ड के देवघर जिले में प्रवेश करती है आगे चलकर इसमें जयंती नदी आ कर मिलती है। 
  • पश्चिम से पथरो नदी आकर अजय नदी से मिलती है। 
  • अजय नदी देवघर ,दुमका से होते हुए करगा के पास जामताड़ा जिले में प्रवेश करती है और आगे चलकर पश्चिम बंगाल में भागीरथी नदी में जाकर मिल जाती है। 
  • अजय नदी की दो सबसे प्रमुख सहायक नदियाँ पथरो और जयंती नदी है। 
  • यह नदी भी बरसाती नदी है इस कारण यहाँ बरसात के दिनों में काफी पानी होता है। 
  • पठारी क्षेत्र में स्थित होने के कारण इस नदी में नाव चलाना सरल नहीं है। 
  •  बरसाती नदी होने के कारण इस नदी में बरसात के मौसम में पानी का प्रवाह तीव्र गति से होता है लेकिन गर्मी आते -आते ये नदियाँ सूख जाते है या इनमे पानी की मात्रा कम हो जाती है।


8.  ब्राम्हणी नदी  :-

  • ब्राम्हणी नदी का उदगम दुधवा पहाड़ से हुआ है। 
  • यह नदी भी बरसाती नदी है इस कारण यहाँ बरसात के दिनों में काफी पानी होता है और गर्मी के दिनों में इन नदियाँ का पानी काफी कम हो जाता है ब्राम्हणी नदी झारखण्ड से बहते हुए पश्चिम बंगाल में गंगा नदी से जाकर मिल जाती है। 
  • ब्राम्हणी नदी की दो सबसे प्रमुख सहायक नदी गुमरो और एरो नदी है। 
  • पठारी क्षेत्र में स्थित होने के कारण इस नदी में नाव चलाना सरल नहीं है। 
  •  बरसाती नदी होने के कारण इस नदी में बरसात के मौसम में पानी का प्रवाह तीव्र गति से होता है लेकिन गर्मी आते -आते ये नदियाँ सूख जाते है या इनमे पानी की मात्रा कम हो जाती है।


9. गुमानी नदी  :-

  • गुमानी नदी का उदगम राजमहल पहाड़ी से हुआ है। 
  • यह नदी भी बरसाती नदी है इस कारण यहाँ बरसात के दिनों में काफी पानी होता है और गर्मी के दिनों में इन नदियाँ का पानी काफी कम हो जाता है यह नदी भी झारखण्ड से बहते हुए पश्चिम बंगाल में गंगा नदी से जाकर मिल जाती है। 
  • पठारी क्षेत्र में स्थित होने के कारण इस नदी में नाव चलाना सरल नहीं है। 
  •  बरसाती नदी होने के कारण इस नदी में बरसात के मौसम में पानी का प्रवाह तीव्र गति से होता है लेकिन गर्मी आते -आते ये नदियाँ सूख जाते है या इनमे पानी की मात्रा कम हो जाती है।

10. बांसलोई नदी  :-

  • बांसलोई नदी का उदगम बांस पहाड़ से हुआ है। 
  • यह नदी भी बरसाती नदी है इस कारण यहाँ बरसात के दिनों में काफी पानी होता है और गर्मी के दिनों में इन नदियाँ का पानी काफी कम हो जाता है यह नदी भी झारखण्ड से बहते हुए पश्चिम बंगाल में गंगा नदी से जाकर मिल जाती है। 
  • पठारी क्षेत्र में स्थित होने के कारण इस नदी में नाव चलाना सरल नहीं है। 
  •  बरसाती नदी होने के कारण इस नदी में बरसात के मौसम में पानी का प्रवाह तीव्र गति से होता है लेकिन गर्मी आते -आते ये नदियाँ सूख जाते है या इनमे पानी की मात्रा कम हो जाती है।






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